Tuesday, August 11, 2015

१ बेमौसम बादल

      १   बेमौसम बादल
उसे चाँद अच्छा लगता था 
जब भी चांदनी  रात होती थी

मै भी चाँद को देखता था 
यु मुलाखात होती थी 

मगर अब ये कैसी 
अमावसकी रात आ गई 
कि एक मुद्दतसे 
चाँदके दिदारको तक 
तरस गये 
मौसम कुछ ओर है 
आज मगर फिर भी 
              यु बेमौसम बादल बरस गये………

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